
सिविल अस्पताल मऊगंज, जो पहले से ही अव्यवस्थाओं और संसाधनों की कमी को लेकर चर्चाओं में रहा है, वह एक बार फिर सुर्खियों में है। ताजा मामला अस्पताल के बीएमओ डॉ. प्रद्युम्न शुक्ला और कर्मचारी हिंछलाल मिश्रा के बीच आपसी विवाद और झूमाझटकी का है, जो अस्पताल की बदहाल व्यवस्था की असलियत उजागर करता है।
सूत्रों के अनुसार, विवाद की जड़ अस्पताल में कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार और नियमों का एक समान पालन न करने को लेकर रही। बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों में तीखी बहस हुई, जो देखते ही देखते हाथापाई में बदल गई। मामला इतना गंभीर हो गया कि दोनों पक्ष अपनी शिकायत लेकर थाने तक पहुंच गए।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मऊगंज सिविल अस्पताल ही नहीं, बल्कि पूरे जिले के अधिकतर स्वास्थ्य केंद्र बदहाल स्थिति में हैं — कहीं डॉक्टरों की कमी, तो कहीं दवाओं और संसाधनों का अभाव साफ नजर आता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मरीजों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं, और जब अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारी व अधिकारी ही आपस में भिड़ते नजर आएं, तो आम जनता की सुरक्षा और इलाज की उम्मीदें स्वतः धूमिल हो जाती हैं।
क्यों बीमार हैं जिले के स्वास्थ्य केंद्र?
विशेषज्ञों और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि जिले के स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी और लापरवाही के चलते आज स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल स्थिति में पहुंच चुकी हैं। जब जिम्मेदार अधिकारी व्यवस्था सुधारने की जगह आपसी टकराव में उलझे हों, तो फिर सुधार की उम्मीद कैसे की जाए?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कार्रवाई करता है और कब तक जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने की ईमानदार कोशिश होती है।
मऊगंज थाना प्रभारी!👇
थाना प्रभारी से मिली जानकारी के अनुसार दोनों पक्षों से आवेदन ले लिया गया है मामले को विवेचना में लेकर न्याय संगत कार्रवाई की जाएगी!*