कोरोना वायरस से संक्रमित:किस हालत में अपना इलाज खुद कर सकते हैं?
 


 आप कोरोना वायरस की चपेट में आ जाएं तो इलाज क्या है?  विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कोविड-19 के जो सबसे आम लक्षण हैं, वे हैं बुखार, थकान और सूखी खांसी. कुछ मरीजों को बदन दर्द, गले में खराश, बंद नाक या फिर नाक बहने की शिकायत भी हो सकती है और इसके साथ डायरिया की भी. इनमें जो लक्षण सबसे परेशान करते हैं वे हैं बुखार और बदन दर्द. इनके लिए आप निश्चिंत होकर पैरासिटामोल ले सक




विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुरुआत में कहा था कि कोविड-19 से संक्रमित लोग आईबूप्रोफेन न लें. लेकिन बाद में उसने यह सलाह वापस ले ली. तो कह सकते हैं कि बदन में दर्द से राहत के लिए दर्दनिवारक दवाइयां भी ली जा सकती हैं.



बंद नाक का इलाज आप डीकंजेस्टेंट्स और नेजल सलाइन से कर सकते हैं. गले में खराश हो तो शहद और नमक-पानी के गरारे जैसे पुराने और असरदार नुस्खे आजमाए जा सकते हैं.


खांसी थोड़ा आगे का मामला हो जाता है, लेकिन इसमें भी आपको शहद, भाप लेने और सलाइन नोज स्प्रे जैसे उपायों से राहत मिल सकती है. सूखी खांसी के मामले में कफ सप्रेसेंट्स ज्यादा काम नहीं करते. इम्यून सिस्टम यानी शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाना भी जरूरी है. इसके लिए पर्याप्त आराम करें और स्वास्थ्यवर्धक चीजें खाएं. कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि जिंक की गोलियां सर्दी-जुकाम और फ्लू के प्रकोप की अवधि को कम कर देती हैं. लेकिन इस बारे में अभी और अध्ययनों की जरूरत है.


सर्दी-जुकाम और फ्लू में कई लोग विटामिन सी लेने की सलाह भी देते हैं. हालांकि इसके कोई बहुत वजनदार सबूत नहीं कि इससे फायदा होता है, लेकिन नुकसान होने की संभावना भी बहुत कम है.


अपनी मर्जी से क्या न करें?


ऐसी दवाइयां बिल्कुल न लें जिन्हें सर्दी-जुकाम और फ्लू के इलाज के लिए दवा नियामक से मंजूरी न मिली हो. अपुष्ट रिपोर्टों और चीन में कुछ मरीजों के इलाज के हवाले से कहा गया है कि मलेरिया में इस्तेमाल में होने वाली दवा क्लोरोक्विन कोविड-19 में भी काम आ सकती है. इस दिशा में ट्रायल चल रहे हैं. लेकिन अभी इसे कोविड-19 के सिर्फ उन्हीं मामलों में देने के लिए कहा गया है जो वायरल या बैक्टीरियल न्यूमोनिया के चलते जटिल हो गए हों और वह भी सिर्फ संबंधित डॉक्टरों के मार्गदर्शन में.


एचआईवी के लिए दिए जाने वाले एंटीवायरल कॉम्बीनेशन लॉपिनैविर-रिटोनैविर से कुछ आशाएं जग रही थीं. लेकिन चीन में कोविड-19 के 199 मरीजों को जब यह दिया गया तो उनकी हालत में कोई खास फर्क नहीं पड़ा.


तो बात का सार यह कि अभी तक कोई ऐसा इलाज नहीं मिल सका है जो पूरी तरह प्रभावी हो. अलग-अलग दवाओं के ट्रायल जारी हैं.


कोरोना वायरस से बचाव और इसके इलाज के कई दावे ऑनलाइन इधर से उधर घूम रहे हैं. लेकिन उनमें से बहुत सारे सही नहीं हैं. क्या सही है, यह जानने के लिए आप विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी लें. मिसाइल के तौर पर डब्ल्यूएचओ या फिर कोई डॉक्टर.





जिनमें बीमारी हल्के-फुल्के और आम लक्षणों से आगे बढ़ चुकी हो वे क्या करें?



लक्षणों की शुरुआत के पांच से सात दिन बाद कुछ मरीजों को सांस लेने में परेशानी की शिकायत होने लगती है. ऐसा तब होता है जब न्यूमोनिया हो जाता है जिसके चलते फेफड़ों में ठोस बलगम जमा हो जाता है. यह रक्त वाहिकाओं यानी वहां मौजूद खून की नलियों में ऑक्सीजन के ट्रांसफर को रोकने लगता है. ऐसे में डॉक्टरी मदद जरूरी हो जाती है.


तो हालत बिगड़ने से पहले ही डॉक्टर या किसी अस्पताल को फोन कर लें और उन्हें बताएं कि आपमें कोविड-19 की पुष्टि हो चुकी है या नहीं. अगर आपको सांस लेने में ज्यादा दिक्कत हो रही हो तो सीधे एंबुलेंस को फोन करें.


मुझे कैसे पता चलेगा कि अब मुझसे किसी और को संक्रमण नहीं हो सकता?


अगर आप कोविड-19 के मरीज हैं और अस्पताल में भर्ती हैं तो आपको तब तक सबसे अलग (आइसोलेशन में) रखा जाएगा जब तक आप में इसके लक्षण खत्म नहीं होते. डॉक्टर आपका एक टेस्ट भी करेंगे जिससे पता चलेगा कि आप किसी और में बीमारी फैला सकते हैं या नहीं. अगर जवाब नहीं में हुआ तो आपको छुट्टी मिल जाएगी.




चीन में अस्पताल में भर्ती मरीजों के एक समूह में पाया गया कि औसतन 20 दिन बाद भी उनकी सांस की नली में कोरोना वायरस मौजूद था. हालांकि हल्के लक्षणों वाले मामलों में यह आंकड़ा कम हो जाता है.



ऑस्ट्रेलिया सरकार के जो दिशा-निर्देश हैं उनके मुताबिक कोविड-19 के हल्के लक्षणों वाले जिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है वे अपना ‘सेल्फ-आइसोलेशन’ खत्म कर सकते हैं बशर्ते.



  • उनमें लक्षणों की शुरुआत हुए 10 दिन हो चुके हों.

  • 72 घंटों से पहले उनमें बीमारी के तीव्र लक्षण खत्म हो चुके हों.



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