धर्म / संकट कारी हो सकते है ये तीन ग्रहण

 


‌संकट कारी हो सकते है ये तीन ग्रहण


जन भारत संदेश मई-25, 2020 12:19 PM IST


ज्योतिष ग्रंथ वृहद संहिता अनुसार, जब भी किसी महीने में दो से अधिक ग्रहण पड़े और उन पर पाप ग्रहों का प्रभाव रहा है, तो वह समय जनता के लिए कष्टकारी साबित हुआ है। इस साल 6 जून से 5 जुलाई के बीच तीन ग्रहण लगने जा रहे हैं, जिनमें से दो ग्रहण भारत में दिखाई देंगे। यानी 30 दिनों की अंदर 3 बड़े ग्रहण लगेंगे। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी (AIFAS) के कानपुर चैप्टर के असिस्टेंट प्रोफेसर शील गुप्ता ने बताया कि 21 जून को मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगने वाला सूर्य ग्रहण ज्यादा संवेदनशील होगा।


कंकणाकृति सूर्य ग्रहण 21 जून को होगा। 21 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या, मृगशिरा नक्षत्र, मिथुन राशि में होने वाला यह सूर्य ग्रहण 12 मिनिट तक भारत, बंगलादेश, भूटान, श्रीलंका के कुछ शहरों में दिखाई देगा। मिथुन राशि के जातकों को इस दौरान काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। शास्त्रों के अनुसार, एक माह के मध्य दो या दो से अधिक ग्रहण पड़ जाए तो राजा को कष्ट, सेना में विद्रोह, आर्थिक समस्या जैसी स्थिति निर्मित होती है। संहिता ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि यह स्थिति आषाढ़ माह में बने, तो आजीविका पर मार होती है। चीन को लेकर वैश्विक स्तर पर कोई कठोर निर्णय पुरे विश्व को शीत युद्ध की ओर ले जा सकते हैं।


शील गुप्ता जी ने बताया कि ज्योतिष के नजरिये से 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण काफी उथल-पुथल लाने वाला हो सकता है। ग्रहण के समय मंगल मीन राशि में बैठकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु पर दृष्टि डालेगा, जो अशुभ संकेत दे रहा है। ग्रहण काल में ही शनि, बुध, गुरु और शुक्र जैसे महत्वपूर्ण ग्रह वक्री हो गए हैं। मानव सभ्यता, पर्यावरण संबंधित बड़ी क्षति होने की आशंका बन रही है। ज्योतिष शास्त्र में उल्लेख है कि जब बड़े ग्रह वक्री होते हैं, तो विश्व में महान प्राकृतिक आपदाएं आने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही 30 दिनों में दो या दो से ज्यादा ग्रहण होना भी जनता के लिए कई मुसीबतों को लाने वाला समय रहा है


उन्होंने बताया कि पांच जून को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण और फिर पांच जुलाई को फिर से चंद्र ग्रहण लगेगा। इनमें से दो ग्रहण भारत में दिखाई देंगे। 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और भारत में दिखाई देगा। 21 जून को लगने वाला ग्रहण भारत के साथ ही एशिया के कई इलाकों, यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा। फिर पांच जुलाई को लगने वाला ग्रहण अफ्रीका और अमेरिका में नजर आएगा। ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा।


वक्री ग्रहों का प्रभाव


प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्याधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि से जन धन की हानि होने का खतरा है। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश को जून के अंतिम माह और जुलाई में भयंकर वर्षा से जूझना पड़ सकता है। इस वर्ष मंगल जल तत्व की मीन राशि में पांच माह तक बैठेंगे। ऐसे में वर्षा काल में असामान्य रूप से अत्याधिक वर्षा होगी और महामारी का भय रहेगा। शनि, मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर साल भर बना रहेगा।


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